जर्नलिस्ट्स, मीडिया एण्ड राइटर्स वेलफेयर एसोसिएशन
Journalists, Media & Writers Welfare Association-JMWA
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’-राष्ट्रीय अध्यक्ष
पत्राचार हेतु राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय : 7-तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
पंजीकृत कार्यालय : 19/256, इन्दिरा नगर, लखनऊ-226016 (उत्तर प्रदेश), पंजीकरण संख्या : 2929
प्रतिष्ठा में,
कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, जयपुर, जिला-जयपुर (राजस्थान)
1. उपरोक्त विषयानुसार एक नागरिक के रूप में, मैं आपकी जानकारी में लाना जरूरी समझता हूँ कि मैं दि. 31.03.2014 को दोपहर में कलेक्ट्रेट जयपुर गया। बीस रूपये का स्टाम्प खरीदना था। दो स्टाम्प विक्रेताओं ने ये कहकर इनकार कर दिया कि उनके पास बीस रुपये का स्टाम्प उपलब्ध नहीं है। अंत में एक बुजुर्ग महिला स्टाम्प विक्रेता ने बीस रुपये का स्टाम्प उपलब्ध होने की बात कही। उसको मैंने जरूरी विवरण लिखाया और मैंने बीस रुपये दिए तो वह बोली कि तेवीस रुपये दीजिये। मैंने कहा तीन रुपये किस बात के, आपको तो सरकार से कमीशन मिलता है? तो उसने तपाक से कहा कि सरकार से मिलने वाले कमीशन से परिवार नहीं चलता, आपको तीन रुपये देने ही होंगे। मैंने उसे फिर से स्पष्ट शब्दों में कहा कि आप बेशक स्टाम्प नहीं दें, मैं तीन रुपये नहीं देने वाला।
2. स्थिति ऐसी निर्मित हो गयी कि बीस रुपये लेकर के ही मुझे स्टाम्प देना उस स्टाम्प विक्रेता महिला की मजबूरी हो गयी थी, क्योंकि वह स्टाम्प के पीछे की ओर मेरे बताये अनुसार स्टाम्प खरीददार का विवरण लिख चुकी थी। इसलिये उसने बड़बड़ाते हुए मुझ से बीस रुपये लेकर स्टाम्प तो दे दिया, लेकिन साथ ही साफ शब्दों में कह दिया कि आगे से मैं आपको कभी स्टाम्प नहीं दूंगी! इस पर मैंने उससे कहा कि मैं आपकी शिकायत कलेक्टर से करूँगा। इस पर तनिक भी घबराये बिना वह तपाक से बोली-कलेक्टर क्या करेगा? उसको सब कुछ पता है। वो सब जानता है।
3. मुझे दु:ख हुआ कि जिले के सबसे बड़े प्रशासनिक लोक सेवक की परिसर में (कलेक्ट्री में) जहॉं पर व्यथित और गरीब लोग दूर-दूर से अपनी फरियाद लेकर इन्साफ की आस में आते हैं, सरेआम और बेरोकटोक उन लोगों का कलेक्ट्री में ही कलेक्टर द्वारा नियुक्त लोगों द्वारा शोषण किया जा रहा है।
4. इससे पहले भी अनेक बार स्टाम्प विक्रेताओं से मेरी इसी बात को लेकर इसी प्रकार से बहस हो चुकी है और शायद आज उनमें से दो स्टाम्प विक्रेताओं ने मुझे बीस रुपये का स्टाम्प उपलब्ध नहीं होने की बात कहकर इसीलिये टरका दिया। बड़े अफ़सोस की बात है-इस प्रकार तो स्टाम्प विक्रेता रोजाना लोगों से बहुत बड़ी राशि गैर कानूनी तरीके से वसूल लेते होंगे। इसलिये इस मामले में चुप रहना तो कतई भी उचित नहीं है। क्योंकि मैं तो स्वयं ही लोगों को ये कहकर प्रेरित करता रहता हूँ कि ‘‘बोलोगे नहीं तो कोई सुनेगा कैसे?’
5. अत: मैंने मैडम सुषमा अरोरा, एडीएम (रजिस्ट्रेशन एंड स्टाम्प), जयपुर से उनके मोबाइल : 9829388383 पर अपने मोबाइल : 9875066111 से 17.57 बजे आज ही बात की तो उन्होंने सकारात्मक तरीके से मेरी बात सुनी और मुझसे आग्रह किया कि यदि लिखकर दे सको तो उन्हें कार्यवाही करने में आसानी होगी। मैंने उनसे कहा कि यदि वास्तव में कार्यवाही हो तो ही लिखकर दूँ, ऐसा ना हो कि मेरा पत्र फाइलों में दबकर रह जाए? इस पर उन्होंने कहा कि आप लिखकर तो दीजिये!
6. मैं आपका ध्यान भारतीय दण्ड संहिता की धारा 21 (12) (क) के प्रावधानों की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। जिसमें लोक सेवक की परिभाषा दी गयी है। यह धारा निम्नानुसार प्रस्तुत है:-
‘‘21. लोक सेवक-लोक सेवक शब्द उस व्यक्ति के द्योतक है हैं जो एतस्मिनपश्चात् निम्नगत वर्णनों में से किसी में आता है, अर्थात्-..........बारहवां-हर व्यक्ति, जो-(क) सरकार की सेवा या वेतन में हो या किसी लोक कर्त्तव्य के पालन के लिये सरकार से फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता हो’’
7. यहॉं पर यह तथ्य स्वयं में सुस्पष्ट है कि समस्त स्टाम्प विक्रेता, स्टाम्प बेचने के बदले में सरकार से कमीशन प्राप्त करते हैं। इस कारण भारतीय दण्ड संहिता की धारा 21 की उप धारा 12 (क) के अनुसार सभी स्टाम्प विक्रेता लोक सेवक की परिभाषा में शामिल होकर ‘‘लोक सेवक’’ हैं और लोक सेवक के रूप में स्टाम्प विक्रेता का उपरोक्त द्भत्य अर्थात सरकार द्वारा निर्धारित वैध पारिश्रमिक (कमीशन) से अधिक पारिश्रमिक (कमीशन) प्राप्त करना भारतीय दण्ड संहिता की धारा 161 के अनुसार दोनों में किसी भी प्रकार के, तीन साल तक के, कारावास से दण्डनीय अपराध है।
8. यहॉं पर हमारे एक साथी का कहना है कि-स्टाम्प विक्रेताओं को इतना कम कमीशन मिलता है कि यदि वे पूर्ण ईमानदारी से स्टाम्प बेचें तो उनको न्यूनतम दैनिक मजदूरी भी नहीं मिलेगी! और वे भूखे मरेंगे! उनसे और उनकी ही जैसी सोच रखने वालों से मेरा साफ़ शब्दों में कहना है कि-यदि कमीशन से काम नहीं चलता है तो कौन कहता है कि वे स्टाम्प बेचने का कार्य करें? उनको अन्य कोई कार्य करना चाहिए! स्टाम्प विक्रेताओं के परिवारों को पलने के लिए व्यथित, मजबूर और निर्दोष नागरिकों का शोषण करने का रास्ता खोलना तो लोक कल्याणकारी राज्य में स्वीकार नहीं किया जा सकता! जो सरकार या प्रशासन अपने लोक सेवकों को इस प्रकार से जनता को लूटने की छूट देतें हैं, वे खुद अपराध को बढ़ावा देते हैं।
9. अब मैं मैडम सुषमा अरोरा, एडीएम (रजिस्ट्रेशन एंड स्टाम्प), जयपुर से मोबाइल पर हुई चर्चानुसार सभी तथ्यों से अवगत करवाते हुए यह पत्र औपचारिक रूप से लिखकर कलेक्टर जयपुर की मेल पर भेज रहा हूँ और साथ ही साथ व्यक्तिगत रूप से कलेक्टर, जयपुर के कार्यालय में भी प्रस्तुत कर रहा हूँ। देखना है कि इन भ्रष्ट लोक सेवकों के विरुद्ध क्या और किस प्रकार की कार्यवाही होती है? जिससे इनके द्वारा की जा रही मनमानी और जनता के शोषण को रोका जा सके।
10. उपरोक्तानुसार पत्र प्रेषित कर अपेक्षा करता हूँ कि नियमानुसार कार्यवाही करके, की गयी कार्यवाही से मुझे अवगत करवाने का श्रम अवश्य किया जायेगा।
शुभकामनाओं सहित-
भवदीय
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